Tonsils Surgery

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Tonsils Surgery

आप सभी ने अपने बचपन में कभी न कभी टॉन्सिल्स का अनुभव जरूर किया होगा, जिसमे हमारे टॉन्सिल्स में सूजन आ जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बहुत बार हम बिना सोचे समझे ठंडा गरम खा लेते हैं, जिससे हमारे टॉन्सिल्स में सूजन आ जाती है। यह थोड़ा दर्दनाक हो सकता है और इस दौरान गले में दर्द होना सबसे आम लक्षण होता है।

टॉन्सिल्स हमारे गले में पीछे की तरफ 2 लिम्फ नोड्स होते हैं जो हमारे शरीर में इन्फेक्शन को रोककर हमारे शरीर के रक्षा तंत्र की तरह कार्य करते हैं। जब हमारे टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन हो जाता है तो उस समस्या या कंडीशन को टॉंसिलिटिस कहते हैं। टॉन्सिल्स हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम के हिस्से के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें वे श्वसन पथ और शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचने से पहले वायरल और जीवाणु संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। टॉन्सिल्स में कुछ सेल्स होती हैं जो हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी इन्फेक्शन को रोकती हैं। हालांकि, कभी-कभी, टॉन्सिल्स स्वयं उसी जीवाणुओं/जर्म्स का शिकार हो जाते हैं जिन्हे वो हमारे शरीर में जाने से रोकने के लिए काम करते हैं। जब ऐसा होता है, तो टॉन्सिल्स में सूजन आ जाती हैं, जिससे दर्द और असुविधा होती है। कुछ मामलों में, टॉन्सिल्स का दर्द असहनीय हो सकता है और आपके चेहरे पर इसके लक्षण सफेद दागों के रूप में दिखाई दे सकते हैं, जो इन्फेक्शन का संकेत देते हैं।

टॉन्सिल्स होने के कारण

टॉन्सिल्स हमारे शरीर में बैक्टीरिया को रोकते हैं। ये व्हाइट ब्लड सेल्स बनाकर हमारी बॉडी को इन्फेक्शन से बचाते हैं। टॉन्सिल्स का मुख्य कार्य उन बैक्टीरिया और जर्म्स को रोकना जो हमारे मुंह के माध्यम शरीर में प्रवेश करते हैं। परन्तु हमारे टॉन्सिल्स भी इन बैक्टीरिया से कभी कभी लड़ नहीं पाते और इन्फेक्शन हो जाता है।

टॉंसिलिटिस होने का मुख्य कारण वायरस से इन्फेक्शन होना है जो साधारण बुखार, ठण्ड लगने की वजह से, और किसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन जैसे गला खराब होना इत्यादि के कारण हो सकता है। AAFP के अनुसार करीबन 15 से 30% तक टॉन्सिल्स बैक्टीरिया की वजह से होता है।

वायरस टॉन्सिल्स होने का सबसे आम कारण है। एपस्टीन-बार वायरस के कारण टॉन्सिल्स हो सकते हैं, जो मोनोन्यूक्लियोसिस का भी कारण होता है।

टॉन्सिल्स का इलाज

  • बहुत हल्के टॉन्सिल्स (Tonsils meaning in Hindi) में इलाज की ऐसी कोई खास जरूरत नहीं होती खासकर जो सर्दी के वायरस के कारण हुआ हो।
    अगर टॉन्सिल्स थोड़ा ज्यादा है तो इसके लिए आप एंटीबायोटिक्स या टॉंसिलेक्टोमी ले सकते हैं।
  • किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, जरूरी है की आप इसका कोर्स पूरा करें। साथ में आपका डॉक्टर समय से ये भी जाँच करेगा की ये दवाएँ कितनी असरदार हैं।
  • सर्जरी के द्वारा टॉन्सिल्स का इलाज करने की प्रक्रिया को टॉंसिलेक्टोमी कहा जाता है। पहले ये टॉन्सिल्स के इलाज के लिए आम प्रक्रिया हुआ करती थी। आजकल टॉंसिलेक्टोमी को केवल क्रोनिक या आवर्ती टॉन्सिल्स के इलाज (Treatment of Tonsils in Hindi) के लिए सुझाया जाता है। इसके अलावा सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब कोई भी इलाज असर नहीं करता या किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है।
  • अगर टॉंसिलिटिस के कारण डिहाइड्रेशन हो जाता है तो अंतःशिरा तरल पदार्थ दिया जाता है। गले में सूजन को कम करने के लिए दर्द की दवाई भी इसमें आराम पहुंचाती है।